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Monday 27 May 2013

संसद, सुप्रीम कोर्ट, 10 जनपथ और इंडियन फिक्सिंग लीग

संसद, सुप्रीम कोर्ट, 10 जनपथ और इंडियन फिक्सिंग लीग




भारत की राजनीति को सा़फ करने का समय आ गया है. सारे देश को मूर्ख बना कर पैसा बनाने का घिनौना खेल अपने अंतर्विरोध की वजह से खुल गया है. दरअसल यह हिंदुस्तान का वाटर गेट है, जिसकी शुरुआत एक टिप्पणी से हुई और आज इसमें भारत सरकार के कई मंत्री, क्रिकेट से जुड़े बड़े लोग और अपराध की दुनिया के बादशाह एक साथ, हाथ मिलाए खड़े दिखाई दे रहे हैं. इसमें पर्दे के पीछे खेलने वाले फिल्मी दुनिया के लोग भी अब सामने आ गए हैं.
सवाल ललित मोदी का है नहीं, मोदी एक कड़ी भर हैं. इस कड़ी से जुड़ी बहुत सी कड़िया हैं, जिनमें शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल सहित पांच से ज़्यादा मंत्री, इनके परिवार के लोग, सांसद, खेल को लूट का ज़रिया बनाने वाले खेलों के कर्ताधर्ता और इनका गुणगान करने वाले मीडिया के लोग और ग्लैमर की दुनिया के वे सितारे हैं, जो इस वीभत्स खेल में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. इस समय मोदी का बलिदान करने की योजना पर बीसीसीआई अमल कर रहा है. सवाल मोदी के रुकने या जाने का नहीं है. इस घोटाले में बीसीसीआई से जुड़े सारे अधिकारी शामिल हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच आवश्यक है.
सबसे बड़ा खेल तो इन शातिरों ने दस जनपथ से जुड़े लोगों को अपने साथ सार्वजनिक रूप से दिखाकर खेला है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वडेरा को जिन्होंने आईपीएल से जोड़ा, उन्होंने जानबूझ कर जोड़ा. आईपीएल के सारे खिलाड़ी सब कुछ जानबूझ कर रहे थे. उन्हें मालूम था कि यदि वे फंसे तो देश का सबसे ताक़तवर परिवार जो सत्ता चला रहा है, उन्हें बचाने आएगा. आज इस परिवार की साख दांव पर है, सवाल है कि क्या आईपीएल के खेल में इस परिवार का भी पैसा लगा है? जिन लोगों ने इस परिवार को आईपीएल के जाल में उलझाया है, उन्होंने देश के व्यापार जगत को यही बताया है कि यह परिवार उन्हें सब कुछ करने की इजाज़त दे चुका है. आख़िर सच है क्या? सौ करोड़ से ज़्यादा की ताक़त वाले देश की क़िस्मत एक माफिया डॉन के हाथों में कैद है. इस डॉन के पास आईपीएल के सौदों की, मंत्रियों के बीच होने वाली बातचीत के टेप हैं. इन्कम टैक्स और इन्फोर्समेंट डायरेक्ट्रेट को कुछ टेप इस डॉन ने भिजवाए हैं. अपनी ताक़त दिखाने के लिए डॉन सारी बातचीत आम कर सकता है और उस स्थिति में भारत सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है.

भारत की संसद और भारत की न्यायपालिका की साख भी सवालिया दायरे में आ गई है. इस महान घोटाले की जांच, जिसने देश के आम आदमी को अपने जाल में फंसा लिया, सीबीआई नहीं कर सकती, क्योंकि जिसमें देश चलाने वाले फंसे हों, उनके सामने सीबीआई असहाय है. इसकी जांच स़िर्फ संसद की संयुक्त जांच कमेटी कर सकती है या फिर सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश. इस सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय को भी स्वत: संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि यह सारा मामला देश के लोकतंत्र पर विश्वास से जुड़ा है.

केंद्रीय मंत्री, बड़े सांसद, बड़े अधिकारी, बड़े उद्योगपति, बड़े खिलाड़ी, बड़े सिनेमा स्टार जब मिल कर देश को लूटने की योजना बनाएं और सफलतापूर्वक लागू करें, तब सुप्रीम कोर्ट ही एक आशा बचती है. बुंदेलखंड में पानी नहीं है, उड़ीसा में भूख से मौतें हो रही हैं, छत्तीसगढ़ में भूखे लोग हाथ में हथियार उठा रहे हैं, देश में महंगाई ने आम आदमी को रुला दिया है. ऐसी स्थिति में सरकार के ताक़तवर लोग आईपीएल के ज़रिए अरबों रुपया विदेश भेज रहे हैं.

दस जनपथ की साख ख़तरे में है, देखना है वे किन्हें बचाते हैं. वे जनता के साथ खड़े होते हैं या उनके साथ, जिन्होंने उन्हें सार्वजनिक रूप से आर्थिक अपराधियों के साथ खड़ा कर दिया है. संसद की ताक़त, संसद की समझ भी यह बताएगी कि वह देश के सवाल पर कुछ कर पाती है या नहीं. या एक नपुंसक संस्था की तरह केवल बातों की ताली पीट कर चुप हो जाएगी.

अगर आज सुप्रीम कोर्ट और संसद नहीं चेते तो कल लोकतंत्र न चाहने वाले खड़े हो जाएंगे और तब जनता उनका साथ देगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

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Source: http://www.chauthiduniya.com/2010/05/sansad-suprim-cort-10-janpath-our-indian-fiksing-li.html

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