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Tuesday 21 January 2014

अरविंद केजरीवाल के ड्रामे का मतलब?


दो दिनों तक चला आम आदमी पार्टी का ड्रामा एक शर्मनाक समझौते के साथ खत्म हुआ. धरने की शुरुआत बड़ी बड़ी बातों को लेकर शुरु हुआ. पहली बड़ी बात, दिल्ली के पूरे राज्य का दर्जा, दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अधिकार के अंदर, खिड़की एक्स्टेंशन के एसएचओ को ससपेंड करना था.

दो दिनों के दौरान आम आदमी पार्टी ने खुद को अराजक साबित किया और डंके की चोट पर कहा कि हां हम अराजक हैं... आम आदमी पार्टी के वही करामती मंत्री का असली चेहरा सामने आया कि वो लोगों के चेहरे पर थूक फेंक कर राजनीति करना चाहते हैं.. चीफ मिनिस्टर केजरीवाल पुलिस कमिशन को "देख लूंगा" की राजनीति करना चाहते हैं.. आम आदमी पार्टी एबीपी न्यूज की एक महिला रिपोर्टर की पिटाई की राजनीति करना चाहते हैं.. मीडिया की डार्लिंग बनी यह पार्टी अचानक मीडिया के लिए विलेन बन गई... जब टीवी चैनलों पर इनकी किरकिरी शुरु हुई तो सारे दिमागदार नेता एक कमरे में बंद हुए .. फैसला हुआ.. अपने आका कांग्रेस से बात हुई.. कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं के साथ बातचीत हुई और केजरीवाल को एक फेससेविंग तरीका औफर किया गया... बस.. आधे घंटे में धरना का ड्रामा बंद हो गया..

तीन पुलिस वाले को छुट्टी पर भेज दिया.. जब कि सच्चाई यह है कि खिड़की एसएचओ ने पहले ही छुट्टी का आवेदन दे रखा है.. तो ये जीत किस बात की है... क्या तीन पुलिस वालों को छुट्टी पर भेजने से दिल्ली की महिलाएं सुरक्षित हो गईं.. क्या पुलिस की जवाबदेही तय हो गई.. क्या पुलिस को दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गई... क्या पुलिस वाले को सस्पेंड कर दिया गया.. फिर ये जीत का हंगामा क्यों?

सच्चाई ये है कि जिस तरह से आम आदमी पार्टी के नेताओं ने राष्ट्र विरोधी बयान दिए.. उससे पूरे देश में इनकी किरकिरी हुई...सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वालों को धरने में शामिल होने की अपील की.... लेकिन कोई नहीं आया.. जो नजर आ रहे थे वो दिल्ली के बाहर से बुलाए गए कार्यकर्ता थे... केजरीवाल ने पुलिस वालों से छुट्टी लेकर या इस्तीफा देकर धरने में शामिल होने की अपील की लेकिन एक ने भी केजरीवाल के अपील पर छुट्टी नहीं ली...

आम आदमी पार्टी एक रंगाशियार है.. बारिश के साथ साथ इसका असली रुप सामने आ रहा है.. यह एक राष्ट्र विरोधी और भारत की एकता अखंडता के लिए खतरा है.. जिस राजनीतिक दल को देश के संविधान, देश की संवैधानिक व्यवस्था और देश की संस्थाओं पर भरोसा नहीं है उन्हें राजनीति करने का अधिकार देश की जनता नहीं दे सकती है.. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गणतंत्र दिवस का परेड दिखावा है.. यह प्रजातंत्र नहीं है.. और मैं 26 जनवरी के परेड में लाखों लोगों से भर दूंगा...

अरविंद केजरीवाल साहब, देश की जनता मूर्ख नहीं है कि वो आप जैसे अराजकर तत्वों को किसी एक राज्य की सत्ता सौप दे. एक बार दिल्ली की जनता से भूल हुई है.. बस.... आम आदमी पार्टी के लोगों ने पहले कश्मीर को पाकिस्तान को देने की पैरवी की.. फिर किसी ने संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरु को शहीद और निर्दोष बताया.. अब आप गणतंत्र दिवस का मजाक उड़ा रहे हो... अगर यह आपकी हसरत है तो अपने पार्टी के मूर्ख कार्यकर्ताओं के अलावा देश के किसी 500 आम आदमी को खड़ा करके दिखाओ जिसके कलेजे में गणतंत्र दिवस के परेड में विघ्न डालने का जब्बा हो... धिक्कार


-Dr. Manish Kumar,
Editor
Chauthi Duniya

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